भारत में जनजातीय एवं लोकनृत्य (नृत्यकला भाग 2)

भारत में जनजातीय एवं लोकनृत्य (नृत्यकला भाग 2)

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भारत में जनजातीय एवं लोकनृत्य (नृत्यकला भाग 2)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

भारत की संस्कृति जितनी ज्यादा रोचक है, उतनी दुनियां के किसी देश की नहीं है। विविधताओं से भरे हमारे देश का हर रंग निराला है, यहां की संस्कृति दुनिया की तमाम संस्कृतियों में सबसे ज्यादा उन्नत है। यहां की हर एक बात निराली है। यहां की संस्कृति, यहां के सभी धर्म, खान-पान, रहन-सहन, लेकिन जो सबसे ज्यादा अलग है, वो है भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार उत्सव या पर्व और इन उत्सवों और त्योहारों पर किये जाने वाले भारतीय लोक नृत्य, जो भारत की संस्कृति को और अधिक रोचक बनाते है। भारत एक ऐसा देश है, जहां सभी अवसरों पर विभिन्न प्रकार के नृत्य किये जाते है। पूरे भारत देश में बहुत समय पहले से उत्सव और त्योहारों पर नृत्य करने की परम्परा चली आ रही हैं। साथ ही भारत के प्रत्येक राज्य के अपने कुछ लोक नृत्य है। लोक नृत्य प्रदेश की संस्कृति को बयां करते है, ऐसे नृत्य जो प्रान्त, धर्म, जाति या स्थान के आधार पर भिन्नता रखते है वे लोक नृत्य होते है। एक प्रदेश के एक से अधिक लोक नृत्य भी हो सकते हैं।

 

  • पंडवानी नृत्य मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में किया जाता है। यह एकल लोक नृत्य है। इसमें गायन एवं नृत्य एक ही व्यक्ति के द्वारा किया जाता है।
  • गणगौर मध्य प्रदेश के निमाड़ में क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय नृत्य है। चौत्र मास की नवरात्रि में गणगौर नृत्य किया जाता है। बिहू भारत के असम राज्य का लोकनृत्य है।
  • बिहू नृत्य असम की कछारी जनजाति के द्वारा किया जाता है। बिहू नृत्य फसल की कटाई के दौरान किया जाता है।
  • उत्तरप्रदेश के नौटंकी नृत्य को छंद, दोहा, हरी गीतिका, कव्वाली, गजल आदि के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें गायन, अभिनय, नृत्य आदि विधाएं शामिल रहती है।
  • गरबा गुजरात का लोक नृत्य है, लेकिन यह भारत के कई हिस्सों में किया जाता है, यह नवरात्री के अवसर पर किया जाता है।
  • यक्षगान एक पारम्परिक नृत्य - नाटिका है,जो कर्णाटक प्रदेश में की जाती है। इस नृत्य को विशेष तौर पर धान के खेतों में, रात के समय प्रस्तुत किया जाता है।
  • भांगड़ा लोकनृत्य मुख्यत: पुरुषों द्वारा किया जाता है, पंजाब में इसे त्योहारों और उत्सवों पर किया जाता है। राजस्थान में कालबेलिया नाम की जनजाति होती है, जिनके द्वारा किया गया नृत्य कालबेलिया नृत्य कहलाता है।
  • घूमर नृत्य राजस्थान में प्रत्येक त्यौहार, उत्सव, समारोह में प्रमुखता से किया जाने वाला नृत्य है। इसे स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है। महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले लम्बे घाघरे इस नृत्य का विशेष आकर्षण होते हैं।
  • तेरहताली नृत्य महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है एवं पुरुषों के द्वारा भजन गाये जाते हैं। इस नृत्य में महिलाएं अपने शरीर पर मंजीरो को बांधती है एवं गीत की लय के साथ उन्हें बजाती हैं।
  • राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में किया जाने वाला भवाई नृत्य बहुत अधिक लोकप्रिय है। इस नृत्य में मटकों को सर पर रख कर नृत्य किया जाता है।
  • तमाशा महाराष्ट्र में किया जाने वाला नाटिका नृत्य है। ज्यादातर लोक नाटिका में पुरुष ही मुख्य भूमिका निभाते हैं लेकिन तमाशा में मुख्य भूमिका महिलाएं ही निभाती हैं।
  • लावणी महाराष्ट्र का सबसे अधिक लोकप्रिय नृत्य हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकप्रिय रऊफ नृत्य विशेष रूप से फसल की कटाई के उपलक्ष्य में किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा के द्वारा ही किया जाता है।
  • छतीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास के पंथ से ही पंथी नृत्य का नामकरण हुआ है। मुख्यत: निर्गुण भक्ति पर आधारित यह लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय के द्वारा किया जाता है।
  • थाली लोकनृत्य हिमाचल में विशेष महत्व रखते हैं। यहां कई मौकों पर जैसे त्यौहार, शादी आदि पर विभिन्न लोक नृत्य किये जाते हैं। थाली नृत्य में नर्तक एवं गायक एक गोल घेरे में बैठते है, इसमें नर्तक एक-एक कर के अपनी प्रस्तुति देते हैं।
  • पश्चिम बंगाल में जात्रा का इतिहास पुराना है। जात्रा एक नाट्य अभिनय युक्त लोक नृत्य है, जिसमे अभिनय के साथ-साथ गीत, संगीत, वाद विवाद आदि होता है।

 

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