भुगतान संतुलन एवं विदेशी व्यापार
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भुगतान संतुलन एवं विदेशी व्यापार
विश्लेषणात्मक अवधारणा
भुगतान संतुलन (बैलेंस ऑफ पेमेंट) को एक निश्चित अवधि के भीतर किसी देश के निवासियों तथा अन्य देशों के मध्य किए गये मौद्रिक लेन-देन के रिकॉर्ड के रूप में परिभाषित किया जाता है। भुगतान संतुलन का महत्व- अर्थव्यवस्था के भीतर नकदी की आवक और जावक के प्रवाह का रिकॉर्ड रहता है।
भुगतान संतुलन से किसी देश की वित्तीय और आर्थिक स्थिति का पता चलता है। भुगतान संतुलन को त्रैमासिक आधार पर स्टेटमेंट के रूप में जारी किया जाता है।
भुगतान संतुलन को 2 श्रेणियों में विभाजित किया जाता है
1. अनुकूल भुगतान संतुलन
2. प्रतिकूल भुगतान संतुलन भुगतान संतुलन के प्रमुख घटकों को 3 श्रेणियों में रखते हैं
(1) चालू खाता
(2) पूंजी खाता
(3) वित्तीय खाता
भुगतान संतुलन एवं विदेशी व्यापार
§ भुगतान संतुलन
भुगतान संतुलन को एक निश्चित अवधि के भीतर किसी देश के निवासियों तथा अन्य देशों के बीच किये गये सभी मौद्रिक लेन-देन के रिकार्ड के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
· किसी देश का भुगतान संतुलन उस देश द्वारा विदेश मुद्राओं की मांग एवं पूर्ति तथा वैश्विक स्तर पर उस देश की घरेलू मुद्रा की माँग एवं पूर्ति प्रदर्शित करता है
भुगतान संतुलन को मुख्यतः दो खातों में विभाजित किया जाता है
1. चालू खाता
2. पूंजी खाता
चालू खाता- इसके अंतर्गत वस्तु के आयात-निर्यात, सेवाओं का व्यापार तथा भुगतानों के अंतरण को सम्मिलित किया जाता है।
चालू खाता की प्रविष्टियां दो भागों में विभाजित होती हैं, दृश्य व्यापार एवं अदृश्य व्यापार
दृश्य व्यापार के अंतर्गत वस्तुओं के आयात-निर्यात तथा अदृश्य व्यापार के अंतर्गत सेवाओं का व्यापार, आय तथा भुगतानों के अंतरण सम्मिलित किये जाते हैं।
व्यापार संतुलन
किसी देश के द्वारा एक निश्चित अवधि में कुल वस्तुओं के निर्यात मूल्य (x) तथा कुल वस्तुओं के आयात मूल्य (m) के अंतर को व्यापार संतुलन कहा जाता है। सरल शब्दों में व्यापार संतुलन किसी देश के व्यापार का मूल्य होता है यानि कुल निर्यात में से आयात को घटाने पर व्यापार संतुलन की गणना की जाती है।
· यदि किसी देश के द्वारा समस्त निर्यातित वस्तुओं सेवाओं तथा भुगतान अंतरणों का मूल्य उसे देश द्वारा आयातित वस्तुओं से सेवाओं तथा भुगतान अंतरणों के मूल्य से अधिक-से-अधिक यानि सकारात्मक है तो वह देश भुगतान संतुलन के चाल खाता अधिशेष की स्थिति में होगा और यदि यह अन्तर नकारात्मक है तो यह स्थिति चालू खाते का घाटा कहलाती है।
§ भारत में भुगतान संतुलन की वर्तमान दशा-
भारत में भुगतान संतुलन पहले से अब अच्छी स्थिति में आता जा रहा है।
वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में चालू खाते के घाटे में कुछ वृद्धि हुई थी परन्तु द्वितीय तिमाही में अपेक्षाकृत कमी हुई।
सितम्बर 2019 तक भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति सुधर कर 433.7 बिलियन डॉलर हो गई जो मार्च 2019 में 412.9 बिलियन डॉलर मुद्रा भंडार था।
भारत का विदेशी व्यापार |
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मुख्य आयात |
मुख्य निर्यात |
कच्चा तेल |
पेट्रोलियम उत्पाद |
भारी मशीनरी |
इंजीनियरिंग वस्तुएँ |
स्वर्ण |
कृषि उत्पाद |
इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं |
रसायन |
रसायन |
रत्न एवं आभूषण |
मुद्रा की परिवर्तनीयता
मुद्रा की परिवर्तनीयता का अर्थ है कि किसी एक देश की मुद्रा मुक्त रूप से मुख्य विदेशी मुद्राओं एवं मुख्य विदेशी मुद्रायें मुक्त रूप से स्थानीय मुद्रा में परिवर्तनशील हो जाना।
रुपये की पूंजी पर परिवर्तनीयता
भारत अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य होने के नाते बहुपक्षीय भुगतान प्रणाली को स्वीकार करता है। इससे RBI के सभी देशों की मुद्राओं में मुक्त रूप से रूपया परिवर्तनीय होगा। भारत सरकार ने लम्बे समय तक त्ठप् के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) के अंतर्गत विदेशी मुद्रा नियंत्रण की व्यापक प्रणाली अपनाई हुई थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण अपनाने एवं लाइसेन्सों पर नियंत्रण की व्यवस्था को हटाने अर्थात 1991-92 के पश्चात विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रणाली को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया।
तारापोर समिति: पूँजी खाते पर परिवर्तनीयता वर्ष 1997 में भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये की पूँजी खाते पर परिवर्तनीयता के लिए पूर्व RBI गर्वनर श्री एस. एस. तारापोर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
समिति की अनुशंसायें- 1997
· पूंजी खाता की पूर्व परिवर्तनीयता सन् 2000 तक लाग करना। कुल राजस्व घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3.5% के स्तर तक लाना।
· नगद आरक्षण अनुपात को 3% के स्तर पर लाना।
· मुद्रास्फीति की दर को 3 से 5% के बीच तक लाना
· बैंकों की गैर-निष्पादनकारी संपत्तियों को पेशगी के 5% तक घटना।
§ द्वितीय तारापोर समिति
सुझाव
· गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों को बैंक के रूप में बदलना
· चालू खाते के घाटे को GDP के 3% से कम रखना।
· मौद्रिक नीति निर्धारण में केन्द्र सरकार एवं रिजर्व बैंक की संयुक्त भागीदारी का समर्थन करते हुए मौद्रिक नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियों के निर्धारण में रिजर्व बैंक को स्वायत्तता देने का सुझाव।
· भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश की सीमा को निवल मूल्य के 200% से बढ़ाकर तीसरे चरण के अंत तक 400% करने का सुझाव।
§ भुगतान संतुलन का प्रबंधन
· विदेशी विनिमय दर प्रबंधन
· विदेशी ऋण
· विदेशी मुद्रा भण्डार के प्रबंधन हेतु नीतियां
· विदेशी विनिमय दर प्रबंधन
· किसी एक देश द्वारा किसी दूसरे देश की एक इकाई मुद्रा खरीदने के लिए जितनी घरेलू मुद्रा चुकाई जाती है वह घरेलू मुद्रा की विनियम दर कहलाती है।
· इसी तरह अन्य मुद्राओं की विनिमय दर निर्धारित होती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुद्रा की मांग पर यह निर्धारण निर्भर करता है।
§ विदेशी ऋण
· किसी भी देश के विदेशी ऋण से उसके भुगतान संतुलन के चालू खाते के विषय में स्पष्ट जानकारी मिलती है।
· विदेशी मुद्रा भण्डार एवं भण्डार प्रबंधन नीतियाँ -
वर्ष 1991-92 में भारत में उपजी आर्थिक समस्याओं के पश्चात भुगतान संतुलन के संकट से निपटने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार पर ध्यान केंद्रित हो गया था।
विदेशी निवेश
· 29 अगस्त 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत में $37.36 विलियन का FDI प्राप्त हुआ जो कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के 36.31 विलियन $ से अधिक था।
वर्ष 2017-18 में भारत को सर्वाधिक FDI मॉरीशंस, सिंगापुर, नीदरलैण्ड तथा अमेरिका से प्राप्त हुआ।
FDI के प्रकार
ब्राउनफील्ड- ऐसा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जिसे पहले से ही स्थापित किसी कंपनी मे निवेश किया जाता है।
ग्रीन फील्ड- ऐसा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जिसके माध्यम से किसी नई कंपनी ईकाई अथवा अवसंरचना का विकास किया जाता है।
भारत में 100% विदेशी निवेश वाले क्षेत्र |
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वित्तीय कंपनियाँ |
निर्माण विकास परियोजनायें |
कोयला खनन |
विद्युत (परमाणु ऊर्जा के अतिरिक्त) |
सड़क एवं बंदरगाह |
खनन एवं खनिज |
कृषि |
कॉफी एवं रबड़ प्रसंस्करण |
एल्कोहल |
औद्योगिक विस्फोटक |
पेट्रोलियम रिफाइनरी |
थोक व्यापार |
औषधि |
होटल एवं उद्योग |
विदेशी समाचार-पत्र |
शृंगार एवं प्रसाधन उत्पाद |
खतरनाक रसायन |
गैर-बैकिंग कंपनियाँ |
हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण |
प्रिंट मीडिया |
विज्ञापन एवं तकनीकी |
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पर्यावरण नियंत्रण |
विदेशी व्यापार
भारत में विदेशी व्यापार के अंतर्गत भारत से होने वाले सभी निर्यात एवं विदेशों से भारत में आयात हुये सभी समानों से है।
भारत का विदेशी व्यापार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत होता है। भारत विश्व 190 देशों को लगभग 7500 वस्तुयें निर्यात करता है तथा 140 देशों से लगभग 600 वस्तुयें आयात करता है।
वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने लगभग 238 देशों और शासनाधिकृत क्षेत्रों के साथ कुल 768 अरब डॉलर का व्यापार (303 अरब डॉलर निर्यात और 465 अरब डॉलर आयात) किया।
§ भारतीय विदेश व्यापार नीति 2015-2020
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015-2020) की पहली विदेश व्यापार नीति 1 अप्रैल 2015 को जारी की जिसके मुख्य बिंदु निम्न है
· राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकारी की पहली विदेश व्यापार नीति में देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात वर्ष 2013-14 के 465.9 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2019-20 तक 900 अरब डॉलर तक पहुंचाने से बढ़ाकर रखा गया है और निर्यातकों तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र को कई तरह के प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई।
· देश का निर्यात बढ़ाने के लिए विदेश व्यापार नीति में एक निर्यात संवर्धन मिशन स्थापित किये जाने पर भी जोर दिया गया है।
· विदेशी व्यापार नीति की सालना समीक्षा के बजाय अब पंचवर्षीय नई विदेश व्यापार नीति की ढाई साल में समीक्षा की जायेगी।
ग्लोबल इकोनॉमिक प्रास्पेक्ट्रस रिपोर्ट-2019
· विश्व बैंक समूह द्वारा वैश्विक आर्थिक संभावनाएं 2019 का प्रकाशन किया गया।
· इस रिपोर्ट का केंद्रीय विषय-अंधकारमय आकाश है।
· रिपोर्टानुसार वर्ष 2019 में विश्व सकल घेरलू उत्पाद में वृद्धि दर 2.9% अनुमानित है जो वर्ष 2020 में घट कर 2.0% हो सकती है।
· इस रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका और चीन के बीच होने वाले व्यापार युद्ध के कारण वैश्वक मंदी आ सकती है।
· रिपोर्टानुसार वर्ष 2019-20 तथा 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5% की दर से वृद्धि करेगी।
विश्व निवेश रिपोर्ट-2019
· जून 2019 को अंकटाड द्वारा विश्व निवेश रिपोर्ट 2019 जारी की गई।
· इस रिपोर्ट का विषय है- विशेष आर्थिक क्षेत्र रिपोर्टानुसार भारत ने दक्षिण एशिया के कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का 77% भाग आकर्षिक किया गया है।
विश्व निवेश रिपोर्ट, 2019 के अनुसार, सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्ग्रवाह वाली 5 अर्थव्यवस्थायें निम्न है
1. संयुक्त राज्य अमेरिका (252 बिलियन डॉलर)
2. चीन (139 बिलियन डॉलर)
3. हांगकांग (116 बिलियन डॉलर)
4. सिंगापुर (78 बिलियन डॉलर)
5 नीदरलैण्ड (70 बिलियन डॉलर)
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