भौतिक विज्ञानः एक परिचय

भौतिक विज्ञानः एक परिचय

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एक परिचय

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

भौतिकी विज्ञान का अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है। विज्ञान की मुख्य विषय वस्तु, प्रकृति तथा उसमें पाये जाने वाले पदार्थ हैं। भौतिक विज्ञान जिसके अंतर्गत द्रव्य तथा ऊर्जा तथा उनकी पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। भौतिक प्राकृतिक जगत का मूल विज्ञान है क्योंकि इस पर अन्य शाखाओं का विकास एवं ज्ञान निर्भर करता है। इस अध्याय में विज्ञान की शाखा, वैज्ञानिक खोज एवं महत्वपूर्ण कार्यों के वर्णन का अध्ययन करेंगे।

 

सामान्य परिचय

विज्ञान- अंग्रेजी भाषा के शब्द Science लैटिन भाषा के शब्द ‘Scientia’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘जानना’ (To know)

‘‘किसी विषय के क्रमबद्ध, व्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं” अर्थात् प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं के क्रमानुसार प्रेक्षणों, सुसंगत तर्कों एवं प्रयोग आधारित ज्ञान को विज्ञान की संज्ञा दी गई है।

विज्ञान को मुख्य रुप से दो भागों में बांटा जा सकता है- भौतिक विज्ञान (Physical Science) और जैविक विज्ञान (Biological Science) भौतिक विज्ञान में अजीवित (Non-Living) तथा जैविक विज्ञान मे जीवित (Living) पदार्थों का अध्ययन किया जाता है।

भौतिकी (Physics) – Physics शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘Fusis’ से हुई है, जिसका अर्थ ‘प्रकृति’ (Nature) है। भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत पदार्थ, ऊर्जा, गति, बल और उनकी परस्पर अन्तक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

 

भौतिकी का प्रयोजन तथा उत्तेजना

भौतिकी के कार्यक्षेत्र विस्तार की जानकारी इसके उपविषयों का अध्ययन करके हो जाती है। मूल रुप से भौतिकी के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रः स्थूल तथा सूक्ष्म है। स्थूल प्रभाव क्षेत्र में पार्थिव, खगोलीय स्तर तथा प्रायोगिक प्रयोगशाला में घटित परिघटनाएं सम्मिलित होती हैं, जबकि सूक्ष्म प्रभाव क्षेत्र में नाभिकीय, परमाण्वीय तथा आण्विक परिघटनाएं सम्मिलित होती हैं।

चिरसम्मत भौतिकी में मुख्य रुप से स्थूल परिघटनाओं में ऊष्मागतिकी, प्रकाशिकी, यांत्रिकी तथा विद्युत गतिकी विषय सम्मिलित हैं

प्रकृति में चार मूल बल है जो सूक्ष्म तथा स्थूल प्रभाव क्षेत्र की विभिन्न परिघटनाओं को नियंत्रित संतुलित करते हैं। ये चार बल है- दुर्बल नाभिकीय बल, प्रबल नाभिकीय बल, विद्युत चुम्बकीय बल तथा गुरुत्वाकर्षण बल। प्रकृति में विभिन्न प्रभाव क्षेत्रों या बलों का समिश्रण भौतिकी विज्ञान की एक महत्वपूर्ण मूल खोज है।

 

भौतिकी की शाखाएं

भौतिकी को समृद्ध बनाने में विभिन्न वैज्ञानिक सर आइजेक न्यूटन, अल्बर्ट आइन्स्टीन, माइकल फैराडे, जे.जे. थॉमसन, डी ब्रॉग्ली, हाइगन, फ्रेकल, डॉ. सी.वी.रमन, होमी जे. भाभा, मेघनाथ साहा, लेंज आदि भौतिकीविदों ने महत्वपूर्ण खोजें तथा अविष्कार किये हैं। 1900 . के पूर्व भौतिकी के अविष्कार की गति धीमी थी लेकिन 1900 . के बाद इनकी गति में बहुत तेजी आयी। इस आधार पर भौतिकी को दो भागों में विभाजित किया गया है

1.         चिरसम्मत भौतिकी (Classical Physics) - 1900 . के पहले के क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ज्ञान से जुड़ी भौतिकी चिरसम्मत भौतिकी कहलाती है। इसमें भौतिकी की निम्न शाखाओं का अध्ययन किया जाता है

(i)   यांत्रिकी (Mechanics) - यह शाखा भौतिकी की सबसे प्राचीन शाखा है, जिसके अन्तर्गत स्थिर तथा मंद चाल से (प्रकाश की चाल की तुलना में) गतिमान वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। यांत्रिकी में गति के नियम, गति के समीकरण, बल, घर्षण, जड़त्व, गुरुत्वाकर्षण इसके अंतर्गत आते है। इस शाखा में द्रव्यों के सामान्य गुण जैसे प्रत्यास्थता, तरल दाब, द्रवों की प्रवाह, पृष्ठ तनाव, श्यानता आदि का अध्ययन किया जाता

है। तरंग यांत्रिकी में द्रव्यों के कंपन और उनमें उत्पन्न तरंगों का अध्ययन किया जाता है।

(ii)   ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) - इस शाखा में ऊष्मा की प्रकृति, उसके संचरण तथा उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ऊष्मागतिकी में पदार्थों की ऊष्मीय ऊर्जा और यांत्रिकी कार्य के आपसी संबंध ऊष्मा स्थानांतरण के कारण किसी निकाय (System) के ताप, आंतरिक ऊर्जा, ऊष्मा इंजन की दक्षता, प्रशीतक की दक्षता एन्ट्रापी में परिवर्तन आदि का अध्ययन किया जाता है।

(iii) विद्युत-चुम्बकत्व (Electromagmetism) - इसके अन्तर्गत विद्युत चुम्बकत्व एवं विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का अध्ययन किया जाता है।

(iv) प्रकाशिकी (Optics) - इसके अन्तर्गत प्रकाश, ऊर्जा और उससे संबंधित घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। प्रकाशिकी की उपशाखाएं- तरंग प्रकाशिकी और किरण प्रकाशिकी है। तरंग प्रकाशिकी में प्रकाश की तरंग प्रकृति के आधार पर प्रकाश संबंधित घटनाओं, व्यतिकरण, ध्रुवण, विवर्तन आदि का अध्ययन किया जाता है। किरण प्रकाशिकी में प्रकाश किरणों के पुंज से मिलकर बनता है।

 

2.         आधुनिक भौतिकी (Modern physics) - 1900 . के पश्चात की भौतिकी को आधुनिक भौतिकी कहते हैं। इसमें पदार्थ के मौलिक कणों, अणु, परमाणु, नाभिक के साथ-साथ सापेक्षिकता सिद्धांत, क्वाण्टम यांत्रिकी आदि का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न शाखाएं सम्मिलित रहती हैं

(i)   क्वाण्टम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) - सूक्ष्मतम (Submicroscopic) कणों, आधुनिक भौतिकी के सिद्धांतों, प्रकाश तथा द्रव्य की दोहरी प्रकृति (Dual nature of light and matter) आदि का क्वाण्टम यांत्रिकी में अध्ययन किया जाता है। हाइजेनबर्ग श्रोडिंजर के सिद्धांतो द्वारा क्वाण्टम यांत्रिकी की शुरुआत हुई।

(ii)   परमाणु भौतिकी (Atomic Physics)- इसमें परमाणु

संरचना एवं परमाणु के गुणों का अध्ययन किया जाता है।

(iii) नाभिकीय भौतिकीय (Nuclear Physics)- इसके अन्तर्गत परमाणु नाभिक एवं भारी नाभिक का दो भागों में टूटना (नाभिकीय विखण्डन) तथा दो हल्के नाभिकों का आपस में जुड़कर (नाभिकीय संलयन) बनने में ऊर्जा उत्सर्जन और नाभिक द्वारा \[\alpha \],\[\beta \] , \[\gamma \] कणों के उत्सर्जन का अध्ययन किया जाता है।

(iv) इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) - इसमें इलेक्ट्रॉन के गुणों पर आधारित उपकरणों, युक्तियों एवं उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है।

(v)   ठोस अवस्था भौतिकी (Solid State Physics) - इसमें क्रिस्टलीय पदार्थों, अर्द्धचालकों के गुणों एवं उपयोग का

अध्ययन किया जाता है।

(vi) विद्युतकी (Electricity) - विद्युत आवेश, आवेश की

प्रकृति, संचरण तथा उसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता

 

भौतिकी के अनुप्रयोग

(a)        भौतिकी और रसायन विज्ञान

(i)   X-किरणो एवं न्यूट्रॉन का विवर्तन और चुम्बकीय अनुनाद भौतिकी की खोज है। इन अनुप्रयोगों के माध्यम से जटिल रासायनिक सरंचनाओं जैसे न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन की संरचना आदि को सरलता से समझा जा सकता है।

(ii)   रेडियोऐक्टिवता के अध्ययन से पदार्थ की सूक्ष्मतम मात्राओं को भी ज्ञात किया जा सकता है। (पपप) परमाणु संरचना की खोज भौतिकविदों ने की। परमाणु संरचना के अध्ययन से आवर्त सारणी के तत्वों एवं भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 

(b)      भौतिकी और जीव विज्ञान

(i)   इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिका की संरचना, परिवर्तन आदि की जानकारी मिलती है।

(ii)   X-किरणों की सहायता से हड्डियों की विकृति, शरीर में अन्य विकृतियों का आसानी से पता लगाया जाता है। X-किरणों का उपयोग वर्तमान समय में कैंसर के उपचार, में भी किया जाता है।

(iii) भौतिकी की खोजो के माध्यम से श्वसन, ब्लड प्रेशर, नेत्र आदि के बारे में स्वास्थ्य संबंधित जानकारी प्राप्त की जाती है।

 

(c)        भौतिकी और गणित- क्वाण्टम भौतिकी में उच्च स्तरीय गणित का प्रयोग किया जाता है। गणितीय सिद्धांतों, समीकरणों के माध्यम से भौतिकी की ओर ज्यादा विस्तृत किया है। जिसकी सहायता से रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह, कम्प्यूटर आदि भौतिकी एवं गणित के संयुक्त आविष्कार है।

 

(d)      भौतिकी और खगोल विज्ञान

(i)   भौतिकी के नियमों की सहायता से आकाशीय पिण्डों, ग्रहों, उपग्रहों आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है।

(ii)   अंतरिक्षयानों के निर्माण एवं विकसित करने में भौतिकी के सिद्धांतो एवं नियम का उपयोग होता है।

(iii) डॉप्लर प्रभाव की सहायता से ब्रह्माण्ड के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

(iv) प्रकाशीय दूरदर्शी से ग्रहों के बारे में एवं रेडियो दूरदर्शी की सहायता से नये खगोलीय पिण्ड जैसे पल्सर्स, क्वासर्स आदि की खोज संभव हुई।

 

(e)         भौतिकी का दैनिक जीवन में उपयोग

(i)   टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट आदि की सहायता से दूरस्थ स्थानों के व्यक्तियों से सम्पर्क करने में।

(ii)   कम्प्यूटर की सहायता से जटिल गणनाएं सीमित समय में की जा सकती है।

(iii)  रेडियो एवं टेलीविजन के माध्यम से विश्वभर की सूचनाओं

को तेजी से प्राप्त करने में।

(iv) अंतरिक्ष में पृथ्वी के आसपास गतिमान कृत्रिम उपग्रहों से

विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त करने में।

(v) वर्तमान समय रोबोट की सहायता से कठिन कार्यों को कम

समय में पूर्ण किया जा सकता है।

 

प्रौद्योगिकी तथा भौतिकी के मध्य संबंध

क्र.

प्रौद्योगिकी

वैज्ञानिक सिद्धांत

1.

रॉकेट नोदन

न्यूटन के गति के नियम

2.

भाप इंजन

ऊष्मागतिकी के नियम

3.

वायुयान

तरलगतिकी में बरनौली का सिद्धांतध/ बरनौली का प्रमेय

4.

कम्प्यूटर

अंकीय तर्क

5.

नाभिकीय रिऐक्टर

नियंत्रित नाभिकीय विखण्डन

6.

बोस आइंस्टाइन दाब

लेसर पुन्जों तथा चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा परमाणुओं का प्रग्रहण एवं शीतलन

7.

सोनार

पराश्रव्य तरंगो का परावर्तन

8.

प्रकाशिक रेशे

प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन

9 .

टेलीविजन एवं रेडियो

विद्युत चुम्बकीय तरंगो का उत्पादन संसूचण

10.

लेजर

विकिरणों के उद्दीपित उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन

संसार के विभिन्न देशों के कुछ भौतिकविदों के प्रमुख योगदान

क्र.

नाम

प्रमुख योगदान/आविष्कार

मूल देश

1

गैलीलियो गैलिली (इटली)

जडत्व का नियम

इटली

2.

आर्किमिडीज (यूनान)

उत्प्लावकता का नियम

यूनान

3.

जेम्स चाडविक (इंग्लैंड)

न्यूट्रॉन

इंग्लैंड

4.

क्रिश्चियन हाइगेंस् (हॉलैंड)

प्रकाश का तरंग सिद्धांत

हॉलैंड

5.

आइजेक न्यूटन

गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम, गति के नियम, परावर्ती दूरदर्शक

इंग्लैंड

6.

जे.जे. थॉमसन

इलेक्ट्रॉन

इंग्लैंड

7.

जगदीश चन्द्र बोस

अतिलघु रेडियो तरंगे

भारत

8.

जैम्स क्लार्क मैक्सवेल

विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत, प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग

इंग्लैंड

9.

हैनरिक रुडोल्फ हर्ट्ज

विद्युत चुम्बकीय तरंगे

जर्मनी

10.

अल्बर्ट आइस्टाइन

प्रकाश विद्युत नियम, आपेक्षिकता का सिद्धांत

जर्मनी

 

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