आधुनिक भारत में मूर्तिकला (मूर्तिकला भाग 3)

आधुनिक भारत में मूर्तिकला (मूर्तिकला भाग 3)

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आधुनिक भारत में मूर्तिकला (मूर्तिकला भाग 3)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

रामकिंकर बैज को आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का जनक कहा जाता है इनका जन्म 1906 ईस्वी में बंगाल के बांकुरा जिले में हुआ। उनका झुकाव बचपने से कला के प्रति था। बांकुरा अपने लोक कला, जैसे टेराकोटा के मंदिरों, मूर्तियों और चित्रकारी के लिए विश्वप्रसिद्ध रहा है। स्थानीय कला का बैज पर बड़ा प्रभाव पड़ा। 20वीं सदी के प्रारंभ होने के पूर्व तक कई भारतीय मूर्तिकार यूरोपीय शैली में मूर्तियों के निर्माण के लिए प्रेरित या यों कहे कि बाध्य थे। ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में देवीप्रसाद राय चौधरी ने पहली बार यूरोपीय शैली से थोड़ा हटकर भारतीय स्पर्श देने की कोशिश की । देवीप्रसाद राय चौधरी आचार्य अवनीन्द्रनाथ टैगोर के योग्य शिष्यों में गिने जाते हैं।

 

  • बंगाल, मुम्बई, जयपुर, मद्रास, ग्वालियर, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब मूर्तिकला के प्रमुख केन्द्रों के रूप में ब्रिटिश काल में सामने आए।
  • स्वतन्त्रता के बाद देवी प्रसाद राय चौधरी यूरोपीय शैली से हटकर पहले ऐसे मूर्तिकार थे जिन्होंने भारतीय स्पर्श देने के साथ कांस्य माध्यम में काम किया।
  • बिहार में पटना सचिवालय के सामने जो शहीद स्मारक है, उसे देवी प्रसाद राय चौधरी ने ही बनाया है। यह प्रतिमा में 7 वीर शहीदों को दिखाया गया है।
  • आधुनिक भारत के सर्वोत्कृष्ट कलाकारों में से एक रामकिंकर बैज न केवल प्रतिष्ठित मूर्तिकार थे बल्कि चित्रकार, ग्राफिक आर्टिस्ट और संगीतकार भी थे।
  • कला में उनके अतुल्य योगदान के लिए 1970 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • रामकिंकर बैज द्वारा 1938 में बनाई गई ‘संथाली परिवार’ की मूर्ति बहुत प्रसिद्ध है। यह मूर्ति शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल में स्थापित है। इस मूर्तिकला में एक संथाल परिवार का एक उल्लेखनीय काम दर्शाया गया है जिसमें एक पिता, एक मां, एक बच्चा और उनके देवता शामिल हैं जो उनके साथ अपनी नई जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ आगे बढ़ते हैं।
  • देवी प्रसाद रॉय चौधरी द्वारा “श्रम की जीत मूर्ति” चेन्नई में बनाई गई। चेन्नई के मरीना बीच में वर्ष 1959 में गणतंत्र दिवस पर इसकी स्थापना की गई थी।
  • आधुनिक भारत में धातु कला के प्रमुख केन्द्र हैं- मद्रास, तिरुचिरापल्ली, तंजौर, मुम्बई, भुज तथा वाराणसी।
  • जयपुर (राजस्थान) देश में मूर्तिकला का प्रमुख केन्द्र है।
  • तांबे एवं कांसे के धातु कार्य के लिये उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जनपद प्रमुख है।
  • वर्तमान समय मे मूर्तिकला में नए प्रयोग हो रहे हैं तथा प्लास्टर ऑफ पेरिस से सुन्दर मूर्तियां निर्मित की जा रही हैं।

 

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