भारत में भित्ति चित्रकला (चित्रकला भाग 2)

भारत में भित्ति चित्रकला (चित्रकला भाग 2)

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भारत में भित्ति चित्रकला (चित्रकला भाग 2)

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

भारतवर्ष में ऐतिहासिक काल के उपलब्ध सबसे प्राचीन चित्र भित्ति चित्रों के रूप में प्राप्त होते हैं। इस काल के प्राचीनतम चित्र। जोगीमारा के गुहा मन्दिर में प्राप्त होते हैं। शिलाखण्डों को काटकर चैत्य, विहार तथा मन्दिर आदि बनाने की परम्परा अति प्राचीन है और उन गुहा मन्दिरों पर पलस्तर लगाकर तथा चूने आदि से चिकनाकर उन पर चित्र बनाये जाते थे। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के प्रारंभ के साथ ही चित्रकला के स्वर्णयुग का सूत्रपात हो जाता है और छठी शताब्दी तक अपने चरम सीमा तक पहुंचता है। जोगीमारा की कृतियों में यह स्वयं सिद्ध है। इस युग की कला कालसिद्ध कला है जो भारतवर्ष की प्राचीन संस्कृति एवं कला की अनुपम विरासत है। भारतववर्ष में शास्त्रीय युग की चित्रकला की विरासत भित्ति चित्रों के रूप में सुरक्षित है। इस प्रकार के भित्ति चित्र जागामारा, अजन्ता बाघ, बदामी, सित्तन्नवासल, एलोरा, एलीफैन्टा, उदयगिरि, पीपलखोरा आदि गुफाओं में उपलब्ध है।

 

  • गुफाओं और महलों की दीवारों पर बने चित्र भित्ति चित्र कहलाते हैं। पांचवीं-छठी शताब्दी के एक संस्कृत पाठ ‘विष्णुधर्मोत्तरम् में में इस चित्रकारी के विषय में चर्चा है।
  • भारतीय भित्ति-चित्रों का इतिहास 2 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 10 वीं शताब्दी ईसवी पूर्व और प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में शुरू होता है।
  • प्राचीन भारत में भित्ति चित्रों पर रंग सामग्री प्राकृतिक वसा जैसे टेराकोटा, चाक, लाल गेरू और पीली गेरू से ली गई थी। भारतीय भित्ति चित्रों महत्वपूर्ण विशेषता उनका वास्तुकला और व्यापक सार्वजनिक महत्व के लिए जैविक संबंध हैं।
  • भारतीय भित्ति चित्रणं व्यावहारिकता में समृद्ध हैं।
  • भित्ति चित्रों का सर्वप्रथम साक्ष्य अजंता और एलोरा की गुफाओं पर चित्रित सुंदर भित्तिचित्र है।
  • दक्षिण भारत में भित्ति चित्रों की समृद्ध परंपरा भी रही। चोल, विजयनगर और नायक के शासनकाल में, यह कला चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई।
  • दक्षिण भारत में सर्वाधिक प्रसिद्ध भित्ति चित्र तमिलनाडु के तंजौर में राजराजेश्वर मंदिर की दीवारों पर नृत्य करती आकृतियां तथा तंजावुर के ही वृहदेश्वर मंदिर की दीवारों पर नृत्य करती युवती का है।
  • आन्ध्र प्रदेश के अनंतपुर में लेपाक्षी मंदिर के भित्तिचित्र संभवतया अंतिम महत्वपूर्ण भित्तिचित्र हैं।
  • महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में सह्याद्रि की पहाड़ियों में स्थित अजंता में स्थित 30 गुफाएं भित्ति चित्रों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • अजन्ता की गुफा संख्या 1 में बोधिसत्व पद्मपाणि अवलोकितेश्वर, मार-विजय तथा चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय और ईरान के ससानी साम्राज्य के बादशाह खुसरो द्वितीय के साथ दूतों के आदान-प्रदान का चित्र भी है।
  • अजन्ता की गुफा संख्या 16 में सर्वश्रेष्ठ चित्र मरणासन्न राजकुमारी तथा महात्मा बुद्ध के उपदेश का है।
  • बाघ गुफाएं मध्य प्रदेश में धार जिले में अवस्थित हैं जहां कुल 9 गुफाएं हैं, जो अजंता के समकालीन हैं।
  • कर्नाटक के बागलाकोट जिले के मालप्रभा नदी बेसिन में बादामी नामक जगह स्थित है, जहां ब्राह्मण-हिन्दू धर्म, जैन धर्म से संबंधित चित्रकला का प्राचीनतम साक्ष्य है।
  • बादामी की गुफाओं में शिव-पार्वती, नटराज तथा इंद्र सभा के महत्वपूर्ण चित्र हैं।
  • तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले में सित्तनवासल की गुफाओं में स्थित मंदिरों की दीवारों पर 8वी - 9वीं सदी के दौरान भित्ती चित्र बनाए गए हैं जो सिद्धों, शैव और जैन धर्म से सम्बंधित हैं।
  • सित्तनवासल की गुफाओं में पांडî राजा-रानी ,एक नर्तकी के चित्र ,एक सघन कमल वन सर्वाधिक उत्कृष्ट कोटी का है।
  • अजंता की गुफाओं एलोरा के समीप ही अवस्थित है। ये गुफाएं हिन्दू, जैन एवं बौद्ध से जुड़ी हुई हैं।
  • एलोरा की गुफा-मंदिर सं 32 में उड़ती हुई आकृतियों व बादलों का दृश्य अत्यंत सुन्दर है।
  • अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में उदात्त भित्ति रचनाएं मिली हैं। लद्दाख को अलची और हेमिस मठों में दीवार चित्रों के लिए जाना जाता है, जो 11 वीं 12 वीं शताब्दी में बना हैं।
  • 12 वीं शताब्दी ईसवी के उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के मदनपुर में स्थित विष्णु मंदिर में भित्ति चित्रकारों के कुशल हाथों का पता चलता है।

 

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