उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

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उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

 

विश्लेषणात्मक अवधारणा

भारतीय उद्योगों का इतिहास काफी पुराना है लेकिन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत आने के बाद उद्योग में काफी तीव्रता आई। भारत के वि-औद्योगीकरण के पीछे विदेशी शासकों का दोहरा उद्देश्य था- एक तो वो भारत से कच्चे माल का निर्यात कर सकें तथा दूसरा उद्देश्य उस कच्चे माल से बना उत्पाद भारत में बेच सके। यद्यपि उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत के कुछ आधुनिक उद्योगों की स्थापना हुई। प्रारम्भ में केवल सूती वस्त्र व पटसन उद्योग विकसित हुए जिसका केन्द्र महाराष्ट्र व गुजरात थे। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ के वर्षों में लोहा इस्पात उद्योग का विकास प्रारम्भ हुआ। टाटा आयरन स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना 1907 में हुई। आजादी के बाद दूसरी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य उद्योगों का विकास करना रखा गया है। दुर्गापुर लौह इस्पात उद्योग, भिलाई, राउरकेला आदि लौह इस्पात उद्योग दूसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान स्थापित किये गये।:

 

उद्योग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

प्राचीन भारत में उद्योग स्थानीय लोगों की आवश्यकतायें पूर्ण करने एवं कुछ मात्रा में निर्यात करने में सक्षम थे।

ब्रिटिश काल में उद्योग क्षेत्र पूरी तरह अपना अस्तित्व खोने की कगार पर था।

इसीलिए स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उद्योग क्षेत्र पर ध्यान दिया जाने लगा।

चूंकि किसी देश की अर्थव्यवस्था उसके उद्योग क्षेत्र पर काफी निर्भर रहती है। इसलिए भारत में समय समय पर औद्योगिक नीतियों के माध्यम से उद्योग क्षेत्र की मरम्मत की गई। औद्योगिक नीतियाँ

·         औद्योगिक नीति, 1948

·         औद्योगिक नीति, 1956

·         औद्योगिक नीति, 1969

·         औद्योगिक नीति, 1973

·         औद्योगिक नीति, 1977

·         औद्योगिक नीति, 1980

·         औद्योगिक नीति, 1986

·         औद्योगिक नीति, 1991

§     उद्योगों का वर्गीकरण विनिर्माण उद्यम

विनिर्माण उद्यम

सेवा उद्याम

सूक्ष्म उद्योग RS. 25 लाख तक

RS. 10 लाख तक

लघु उद्योग- RS. 25 लाख से 5 करोड तक

RS. 10 लाख से RS. 2 करोड़ तक

मध्यम उद्योग RS. 5 करोड़ से RS. 10 करोड़ तक

RS. 2 करोड़ तक RS. 5 करोड़ से तक

 

§     उद्योगों का महत्व

1. रोजगार के अवसरों में वृद्धि

2. राष्ट्रीय आय में बढ़ोत्तरी में सहायक

3. लोगों की आवश्यकताओं की वस्तुओं का निर्माण

4. निर्यात में वृद्धि

5. विदेशी मुद्रा प्राप्ति

6. आत्मनिर्भरता

7. मानव श्रम को महत्व

8. पूँजी निर्माण में सहायक

§     औद्योगिक विकास में आने वाली समस्यायें

·         पूँजी की कमी 

·         आधारभूत इकाईयों का विकसित न होना

·         कच्चा माल आधुनिक मशीन एवं उन्नत प्रौद्योगिकी का अभाव

·         क्षेत्रीय असमानता में वृद्धि

·         विदेशी उद्यमों के साथ प्रतिस्पर्धा

·         कार्योचित मानव शक्ति की कमी

·         औद्योगिक रूग्णता के कारक

§     बौद्धिक सम्पदा

बौद्धिक सम्पदा वह कानूनी अधिकार होता है जो वैज्ञानिक, औद्योगिक, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में नवाचार एवं खोज के लिए मिलता है। 

§     बौद्धिक सम्पदा अधिकार

·         पेंटेंट

·         कॉपीराइट

·         ट्रेडमार्क

·         औद्योगिक डिजाइन

·         भौगोलिक संकेतक

§     औद्योगिक क्षेत्र के विकास से संबंधित योजनायें

·         मेक इन इंडिया

·         इन्वेस्ट इंडिया

·         स्टार्टअप इंडिया

·         स्टैंडअप इंडिया

·         प्रधानमंत्री मुद्रा योजना 

§     सार्वजनिक क्षेत्र

भारत सरकार द्वारा संचालित एवं नियंत्रित उद्यम एवं उपक्रम को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या PSUs का जाता है।

सार्वजिक उपक्रम का उद्देश्य लाभ अर्जित करना न होकर सामाजिक एवं सार्वजनिक हितों को बढ़ावा देना है। इस प्रकार के उपक्रमों का स्वामित्व भारत सरकार या राज्य सरकारों के पास होता है।

 

कुछ महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

1.

एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड

2006

नागर विमान मंत्रालय

मुम्बई

2.

Akatraraपावर लिमिटेड

2006

विद्युत

छत्तीसगढ़

3.

एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड

1979

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय

कोलकाता

4.

असम अशोक होटल Corpn लिमिटेड

1985

पर्यटन मंत्रालय

असम

5.

BPL निर्माण कंपनी

1984

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय

कोलकाता

6.

बीईएमएल

1964

रक्षा मंत्रालय

हैदराबाद

7.

भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड

1954

रक्षा मंत्रालय

बैंगलोर

8.

भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स

1964

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय

भोपाल

9.

भारत पेट्रो रसायन JPDA लिमिटेड

2006

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय

महाराष्ट्र

10.

भारत पेप्स एंड कॉर्पोरेशन लिमिटेड

1970

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय

इलाहाबाद

 

§     महारत्न उपक्रम

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2009 से हुई है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अपने कारोबार का विस्तार तथा वैश्विक स्तर पर बड़ी कम्पनी के रूप में उभरता है। वर्तमान समय में कुल 10 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को महारत्न का दर्जा प्राप्त है।

1. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड

2. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

3. कोल इंडिया लिमिटेड

4. गेल (GALE) इंडिया लिमिटेड

5. हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन

6. NTPC लिमिटेड

7. Oil and Natural Gas कॉर्पोरेशन लिमिटेड

8. Power Grid Corporation of india  लिमिटेड

9 Steel Authority of India  लिमिटेड

§     नवरत्न उपक्रम

इस योजना को वर्ष 1997 में प्रारंभ किया गया है। नवरत्न का दर्जा प्राप्त कंपनियों को अधिक प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वायत्ता मिलती है। वर्तमान समय में 14 कंपनियों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है।

§     कुछ महत्वपूर्ण कम्पनी- 

1. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

2. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड

3. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड

4. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड

5. NBCC (india) लिमिटेड

6. NMDC लिमिटेड

7. NCC इंडिया लिमिटेड

8. Oil India लिमिटेड 

§     मिनीरत्न उपक्रम

मिनीरत्न योजना की शुरुआत 1997 में की गई। वर्तमान में मिनीरत्न कंपनियों की कुल संख्या 74 है। वे कम्पनी जो लगातार 3 वर्षों तक लाभ अर्जित किया हो साथ-ही-साथ इन 3 वर्षों में किसी एक साल 30 करोड़ या अधिक का लाभ हासिल किया हो।

§     महत्वपूर्ण मिनीरत्न कम्पनियाँ

1. एयरपोर्टस अथॉरिटी आफ इंडिया

2. बामर लारी एंड कम्पनी लिमिटेड

3. भारत कोकिंग कोल लिमिटेड

4. अंतरिक्ष कार्पोरेशन लिमिटेड

5. भारत डायनामिक्स लिमिटेड

6. बीईएमएल लिमिटेड

7. भारत संचार निगम लिमिटेड

8. ब्रिज एंड रुफ कंपनी लिमिटेड

9. कामराज पोर्ट लिमिटेड

10. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड

नोटः 1. आबिद हुसैन समिति लघु उद्योगों में सुधार हेतु बनाई गई थी।

§     लघु उद्योग

लघु उद्योग ऐसे उद्योग होते हैं, जिसमें अधिक-से-अधिक RS. 1 करोड़ का निवेश हुआ हो। जबकि कुटीर उद्योग की अधिकतम निवेश सीमा 25 लाख होती है। लघु उद्योग को 3 भागों में बांटा जाता है

1. सूक्ष्म उद्योग- जहाँ प्लांट एवं मशीनरी में 25 लाख से अधिक निवेश नहीं होता है।

2. लघु उद्योग- जहाँ निवेश 25 लाख से अधिक तथा 5 करोड़ से कम होता है।

3. मध्यम उद्योग- जहाँ निवेश 5 करोड़ से अधिक लेकिन 10 करोड़ से कम होता है।

§     लाइसेंसिंग की आवश्यकता वाले उद्योग

1. ऐसे उद्योग जो एल्कोहलयुक्त पेयों का आसवन व इनसे शराब बनाने वाला।

2. वह उद्योग जो तम्बाकू के सिगार एवं सिगरेटें तथा विनिर्मित तम्बाकू के अन्य पदार्थ बनाने वाले।

3. इलेक्ट्रॉनिक एयरोस्पेस तथा रक्षा उपकरण (सभी प्रकार के)

4. डिटोनेटिंग फ्यूज, सेफ्टी फ्यूज, गन पाउडर, नाइट्रो सेल्यूलोज तथा माचिस सहित औद्योगिक विस्फोट सामग्री बनाने वाले उद्योग। 

§     औद्योगिक रुग्णता

जब किसी कंपनी को रुग्ण औद्योगिक कम्पनी उस स्थिति मे कहा जाता है जब विगत लगातार 4 वर्षों में से किसी एक या अधिक वर्षों में वित्तीय वर्ष के अंत में इसकी संचित हानि इसकी नेटवर्क का 50% या उससे अधिक हो। औद्योगिक रुग्णता कंपनी अधिनियम 1985 में नारायण दत्त तिवारी समिति की सिफारिश के आधार पर पारित किया गया जिसके तहत 1987 में औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड की स्थापना की गई। इससे संबंधित अन्य समिति

1. ओंकार गोस्वामी समिति- 1993

2. बाल कृष्ण इराडी समिति- 1993

§     विशेष आर्थिक क्षेत्र

·         विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) विशेष रूप से परिभाषित उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते है जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।

·         ये ऐसे भौगोलिक क्षेत्र होते हैं, जहाँ देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा आर्थिक नियम कानून ज्यादा उदार होते हैं एवं यहां पूर्ण विकसित आधारिक संरचना उपस्थित होती है। विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति की घोषण 01 अप्रैल 2000 को की गई थी।

§     निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र

·         यह सामान्यतयाः विशेष आर्थिक क्षेत्र के समान ही होता है।

·         निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों के उत्पादन को पूर्णतयाः निर्यात किया जाता है।

·         यहां आर्थिक कानून सामान्य कानूनों से ज्यादा उदार होते है।

§     डूइंग बिजनेस रिपोर्ट

24 अक्टूबर 2019 को विश्व बैंक समूह द्वारा व्यवसा सुगमता से संबंधित डूइंग बिजनेस 2020 रिपोर्ट जारी की

गई जो 17वीं वार्षिक रिपोर्ट है।

§     व्यवसाय सुगमता सूचकांक

·         विश्व बैंक व्यवसाय शुरू करने से लेकर व्यवसाय हेतु वित्त प्रबंधन, व्यावसायिक कार्यकलाप तथा उन्नति हेतु अनुकूल माहौल प्रदान करने की सुगमता को व्यावसायिक सुगमता मानता है। व्यवसाय सुगमता सूचकांक विश्व बैंक द्वारा वर्ष 2003 से जारी किया जा रहा है।

·         व्यवसाय सुगमता सूचकांक संबंधी रिपोर्ट 190 देश की व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले 12 क्षेत्रों के व्यापारिक विनियमनों पर आधारित है

·         व्यवसाय प्रारंभ करना

·         श्रमिकों को नियुक्त करना

·         निर्माण संस्तुति करना

·         विद्युत सुविधा प्राप्त करना

·         संपत्ति का पंजीकरण ऋण प्राप्त करना

·         अल्पांश निवेशकों की सुरक्षा

·         कर भुगतान करना

·         सीमापारीय व्यवसाय

·         सरकार के साथ अनुबंध

·         अनुबंधों को लागू करना

·         दिवालियापन का समाधान

§     रैंकिंग- (2020)

·         86.8 अंकों के साथ न्यूजीलैण्ड शीर्ष स्थान पर

·         सोमालिया को अंतिम स्थान- 190वाँ

·         भारत 71.0 अंकों के साथ 63वाँ स्थान

·         वर्ष - 2019 में भारत का स्थान 77वाँ था (वर्तमान मे 14 स्थानों का सुधार)

 

 

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